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DAV Class 8 Hindi Gyan Sagar Chapter 18 dukh mein haar na maano Solutions
DAV class 8 Hindi Chapter 18 dukh mein haar na maano Question Answer is given below. Here DAV class 8 Hindi chapter 18 solutions is provided with detailed explanation.
Highlights
- कविता में से
- बातचीत के लिए
- अनुमान और कल्पना
- भाषा की बात
- जीवन मूल्य
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DAV Class 8 Hindi Chapter 18 Question Answer
कविता में से
1. मनुष्य किसे और कहाँ ढूँढता रहता है?
उत्तर: मनुष्य ईश्वर को मंदिरों, वनों और कुंजों में ढूँढ़ता रहता है।
2. कविता में कवि किस प्रकार की ‘आह’ की बात करता है?
उत्तर: कविता में कवि गरीबों और मज़लूमों के मुख से निकलने वाले पीड़ापूर्ण शब्द आह!’ की बात करता हैं।
3. ‘बाजे बजाने’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: ‘बाजे बजाने से कवि का अभिप्राय है की, धार्मिक अनुष्ठानों में ईश्वर को रिझाने के लिए अनेक प्रकार के वाद्य यंत्रों के माध्यम से मंत्रोच्चार करना है।
4. कवि अधीर मन में कैसा प्रभाव भरने की बात करता है?
उत्तर: कवि करबद्ध होकर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके मन में ईश्वर ऐसा प्रभाव भर दें कि सुख में न ही वह अतिउत्साहित हो और दुख में न ही हार मान जाए। सुख-दुख दोनों ही स्थिति में वे सदा ईश्वर का स्मरण करते रहें।
5. कविता के दिए गए अंश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
बनकर किसी के आँसू, मेरे लिए बहा तू।
आँखें लगी थीं मेरी, तब मान और धन में।
बाजे बजा बजाकर, मैं था तुझे रिझाता।
तब तू लगा हुआ था, पतितों के संगठन में ।।
बेबस गिरे हुओं के, तू बीच में खड़ा था।
मैं स्वर्ग देखता था, झुकता कहाँ चरण में ।।
(क) कवि ईश्वर द्वारा किसी के आँसू बनकर बहने वाले रूप को क्यों नहीं देख पाया?
उत्तर: कवि ईश्वर द्वारा किसी के आँसू बनकर बहने वाले रूप को नहीं देख पाया क्योंकि कवि ईश्वर की खोज मंदिरों, वनों और कुंजों में कर रहा था।
(ख) कवि ने ईश्वर को किस प्रकार रिझाने का प्रयत्न किया?
उत्तर: कवि ने ईश्वर को रिझाने के लिए अनेक प्रकार के वाद्य यंत्रों के माध्यम से मंत्रोच्चार किया।
(ग) ‘बेबस और गिरे हुओं’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: ‘बेबस और गिरे हुओं’ से कवि का तात्पर्य समाज के उन गरीब वर्ग के लोगों से हैं जो दीन-हीं अवस्था में जीवन व्यतीत करते हैं।
(घ) ईश्वर को प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: ईश्वर को प्राप्त करने के लिए हमें मानव सेवा करनी चाहिए क्योंकि मानव सेवा ही माधव सेवा है।
(ङ) ‘स्वर्ग देखने’ के भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: स्वर्ग देखने का भाव यह है कि सदा ऊपर ही देखते रहना।
बातचीत के लिए
1. जब ईश्वर दोनों के यहाँ निवास करते हैं तो फिर मंदिर में पूजा करने का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ईश्वर दोनों के यहाँ निवास करते हैं फिर भी लोग मंदिरों में भगवान की पूजा करने जाते हैं क्योंकि, मंदिर में पहुँचकर भक्तो का मन पूर्णत: भक्ति में लीन हो जाता है। उदाहरण के लिए हवा सभी जगह होती हैं फिर भी मनुष्य धूप वाले स्थान को छोड़कर छाया में आकर बैठना ही पसंद करता है।
2. कवि ईश्वर से कष्ट सहने का वरदान माँगता है, उन्हें दूर करने का नहीं। कारण पर चर्चा कीजिए।
उत्तर: जीवन है तो कष्ट आएगा ही आएगा। इस सच्चाई से कवि परिचित हो चुके हैं इसलिए वे ईश्वर से कष्ट दूर करने की प्रार्थना नहीं करते बल्कि कष्टों से लड़ सकने की शक्ति की याचना करते हैं।
3. कवि ने कठिनाइयों और दुखों से भरे इतिहास को सुयश क्यों माना है?
उत्तर: इतिहास इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करता है कि जितने लोगों ने भी इतिहास के पन्नों पर अपनी सुकीर्ति लिपिबद्ध की है उनका जीवन कठिनाइयों और दुखों से भरा रहा है। कवि को कठिनाइयों और दुखों में उज्ज्वल भविष्य की छाया दिखती है।
अनुमान और कल्पना
1. अगर आपको सुख-साधन भरे जीवन और परोपकारी जीवन में से एक को चुनना पड़े, तो आप किस जीवन को चुनेंगे और क्यों?
उत्तर: अगर मुझे सुख-साधन और परोपकारी जीवन में से किसी एक को चुनना पड़े तो मैं सुख-साधन वाली जिंदगी चुनना पसंद करूँगा क्योंकि जब मेरे पास सुख-साधन और सुविधाएँ भरपूर मात्रा में होंगी तो मैं दूसरों की मदद बड़ी आसानी से कर सकता हूँ और इस तरह मेरा जीवन भी परोपकारी जीवन हो जाएगा। मैं दोनों तरफ से दोहरी खुशी पा सकता हूँ।
2. कल्पना कीजिए कि ईश्वर आपके समक्ष खड़े हैं। आप उनसे क्या वरदान माँगेंगे?
उत्तर: यदि ईश्वर मेरे समक्ष खड़े हैं तो मैं उनसे चिर युवावस्था की कामना करते हुए सर्वगुण संपन्न होने का वरदान माँगूँगा और अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगाऊँगा।
भाषा की बात
1. कविता में से कोई चार शब्द लिखिए, जिनमें अनुस्वार अथवा अनुनासिक का प्रयोग हुआ है-
उत्तर: (क) कुंज (ख) संगीत (ग) आंसू (घ) ढूँढ़ता
2. नीचे दिए गए शब्दों का सही समानार्थी शब्दों से मिलान कीजिए-
उत्तर:
वन अरण्य
चमन उपवन
मान सम्मान
संगठन एकत्र
यश प्रसिद्धि
जीवन मूल्य
कविता में बताया गया है कि धन-दौलत और ऐश्वर्य पाकर लोग अभिमानी बन जाते हैं और रिश्ते-नाते, यहाँ तक कि ईश्वर को भूल जाते हैं।
1. अभिमान रिश्तों की मिठास को समाप्त कर देता है। कैसे?
उत्तर: रिश्तों की मधुरता के मूल में कोमल भावनाएँ छिपी होती हैं। न कि अभिमान और धन-दौलत। जब रिश्तों में सहिष्णुता का लोप होकर अभिमान आ जाए तब रिश्तों की मिठास शून्य हो जाती है।
2. अभिमान तथा स्वाभिमान में लेशमात्र अंतर है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अभिमान लोगों को अपने पास होनेवाली किसी चीज को लेकर होता है जबकि स्वाभिमान लोगों के नैतिक मूल्यों से जुड़ा रहता है। अभिमान बाह्य वस्तुओं पर निर्भर होता है और इसके चूर-चूर हो जाने की पूर्ण संभावना होती है जबकि स्वाभिमान मनुष्य को अमरता की ओर ले जाता है।