What is Orthography in Hindi | वर्ण-विचार किसे कहते हैं ?
वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके और टुकड़े या खण्ड नहीं हो सकते। जैसे- अ, आ, इ, ई, क्, ख्, च् छ् य्, र्, ल् आदि।
इन बातो को समझे-
कमल = क +म+ ल
या कमल = के + ए + एम + ए + एल + ए
ध्यान दे. ‘कमल‘ एक शब्द है, जिसे तोड़ने पर हमें तीन टुकड़े मिले—क, म और ल। जब इनके भी टुकड़े किए गए, तब छह टुकड़े मिले— क्. अ. म् अ ल् और अ। ये सबसे छोटे टुकड़े हैं। अब इनके और टुकड़े नहीं हो सकते।
इन्हे ही ‘वर्ण’ या मूल ध्वनि कहते हैं।
वर्णमाला (Alphabet)
वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 52 वर्ण या ध्वनियाँ हैं—
अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ऋ | ए | ऐ | ओ | औ | -स्वर – 11 | ||
अं (. ) | अ : ( 🙂 | अयोगवाह – 2 |
क | ख | ग | घ | ङ | |
च | छ | ज | झ | ञ | |
ट | ठ | ड | ढ | ण | |
त | थ | द | ध | न | |
प | फ | ब | भ | म | |
य | र | ल | व | अन्तःस्थ व्यंजन – 4 | |
श | ष | स | ह | ऊष्म व्यंजन – 4 | |
क्ष | त्र | ज्ञ. | श्र | संयुक्त व्यंजन – 4 | |
ड़ | ढ़ | द्विगुण व्यंजन – 2 |
वर्ण के भेद
वर्ण के दो भेद हैं—
(1) स्वर वर्ण (Vowels)
(2) व्यंजन वर्ण (Consonants)
स्वर वर्ण
परिभाषा जिस वर्ण का उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से हो उसे स्वर वर्ण कहते हैं। ये ग्यारह है अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ ।
ये वर्ण व्यंजन वर्ण के उच्चारण/ बोलने में सहायता भी करते है। जैसे क, ख, ग आदि बोलते समय अन्त में स्वर आता है। बिना स्वर के हम व्यंजन का उच्चारण नहीं कर सकते हैं। जैसे-
क् + अ = क
ख् + अ = ख।
स्वर वर्ण के भेद
स्वर वर्ण के दो मुख्य भेद हैं-
(i) ह्रस्व स्वर और
(ii) दीर्घ स्वर ।
(i) ह्रस्व स्वर – जिस स्वर के उच्चारण में कम समय लगता है। उसे ‘ह्रस्व स्वर कहते है ये चार है-
अ इ उ तथा ऋ|
(ii) दीर्घ स्वर – जिस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व स्वर की अपेक्षा दुगना समय लगता है उसे ‘दीर्घ स्वर‘ कहते हैं। ये सात हैं- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ।
अब ह्रस्व स्वर और दीर्घ स्वर के उच्चारण को समझे-
कल– इसे बोलने में कम समय लगता है।
काला –लेकिन ‘कल’ की अपेक्षा इसमें दुगना समय लगता है।
नल – इसके उच्चारण में कम समय लगता है।
नीली – परन्तु ‘नल’ की अपेक्षा इसमें दुगना समय लगता है
परिभाषा जो वर्ण स्वर की सहायता से बोला जाता है उसे व्यंजन वर्ण कहते हैं। जैसे- क् ख् ग्. च्, छ्, फ्. व् आदि ।
व्यंजन वर्ण
परिभाषा :- जो वर्ण स्वर की सहायता से बोला जाता हैं उसे व्यंजन कहते हैं | जैसे -क , ख , ग , छ , छ , फ , ब आदि |
व्यंजन वर्ण के भेद
व्यंजन वर्ण के पाँच भेद है—
(i) स्पर्श
(ii) अन्त स्थ.
(iii) ऊष्म
(iv) संयुक्त और
(v) द्विगुण ।
(i) स्पर्श व्यंजन = (क, ख, ग घ ङ), (च छ ज झ ञ) ( ट ठ ड ढ ण त थ द ध न) और (प फ ब भ म) के उच्चारण में कण्ठ तालु का ऊपरी भाग ओठ आदि का स्पर्श किया जाता है। इसलिए इन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। इनकी कुल संख्या 25 है।
(ii) अन्तःस्थ व्यंजन = य र ल और व के उच्चारण में जीभ, तालु, दाँत और होठों का स्पर्श तो होता है, लेकिन कहीं भी पूरा स्पर्श नहीं होता। अतः इन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 4 है।
(iii) ऊष्म व्यंजन – श, ष, स और ह का उच्चारण रगड़ या घर्षण से उत्पन्न ऊष्म (गर्म) वायु से होता है, अत इन्हें ऊष्म व्यंजनकहते है इनकी कुल संख्या 4 है।
(iv) संयुक्त व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ और श्र को संयुक्त व्यंजन कहते है क्योंकि इनमें दो व्यंजन जुड़े हुए हैं-
क् + ष = क्ष
त् + र = त्र
ज् + ञ = ज्ञ
श् + र = श्र
(v) द्विगुण व्यंजन – ‘इ’ और ‘द’ को द्विगुण व्यंजन कहते हैं। ये ‘ड’ और ‘ढ’ के नीचे बिन्दु देने से बनते हैं। इनका प्रयोग प्रायः किसी शब्द के बीच या अन्त में होता है। जैसे—
पढ़ना, चढ़ना, लड़की, सड़क आदि- (शब्द के बीच में)
बाढ़, आषाढ़, ककड़ी, मकड़ी आदि – (शब्द का अन्तिम अक्षर)
नोट- ‘ढ प्राय शब्द के शुरू में आता है, ‘ढ’ नहीं। जैसे—
ढकना, ढोलक, होग, ढाँचा (गलत)
ढकना ,ढोलक, ढोग, ढाँचा (सही)
अनुस्वार, चन्द्रविन्दु और विसर्ग
अनुस्वार (~ )—इसका उच्चारण नाक और मुँह से होता है, यह आधा पंचमाक्षर (ङ्, ञ्, ण्, न् और म्) के बदले भी आता
है। जैसे- ङ् के बदले अनुस्वार ( `) – अङ्क या अङ्क = अंक।
पद्ध या पङ्ख= पंख |
ञ के बदले अनुसार (` ) पञ्च = पंच। पञ्छी = पंछी।
णू के बदले अनुस्वार (` ) घण्टी = घंटी कण्ठ = कंठ।
नू के बदले अनुस्वार (`) – पन्त = पंत बन्द = बंद |
म् के बदले अनुस्वार (`) – अम्बा = अंबा खम्भा =खंभा |
आप ऊपर देख रहे हैं कि पंचमाक्षर के बदले अनुस्वार ( `) का प्रयोग ज्यादा आसान है। लेकिन प्रत्येक शब्द में ऐसा नहीं किया जाता है। विशेष जानकारी के लिए लेखक की पुस्तक ‘सहज प्रारंभिक हिन्दी व्याकरण और रचना का अध्ययन करें ।
चन्द्रविन्दु (*) इसका उच्चारण नाक और मुँह से होता है लेकिन इसमें थोड़ी-सी कोमलता रहती है कुछ शब्दों में इसका प्रयोग होता है। जैसे—
अँगरेजी, अँगूठा, आँख, आँगन, आँधी, आँवला, आँसू, उँगली काँख, काँटा, खूँटा गूँगा, चाँद, जाँघ, जाँता, जूँ. टाँका, टाँग, ताँबा, दाँत दाएँ, नोंद पाँच पूँछ, फेंकना, बाँगुरी, बाँह बूँद, भूँकना, माँ. मुँह मूँछ, लँगड़ा लाँघना, साँप, सूँघना सूँड, हँसना, हाँपना या हॉफना आदि।
विसर्ग ( : ) इसका उच्चारण ‘ह की तरह होता है। लेकिन, विसर्ग की जगह आप ‘ह‘ नहीं लिखें, नहीं तो गलत हो जाएगा। अनुस्वार और चन्द्रबिन्दु की तरह इसे भी ‘अयोगवाह’ माना गया है। इसका प्रयोग संस्कृत के शब्दों में देखा जाता है।
जैसे- अतः,स्वतः,प्रातः,मूलतः,अंशतः,प्रायः आदि|
स्वर की मात्रा
आप जानते है कि ग्यारह स्वर है लेकिन मात्रा सिर्फ दस स्वर के संकेत चिह्न को मात्रा कहते है जो निम्नलिखित है-
स्वर
ऐ
स्वर | अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ऋ | ए | ऐ | ओ | औ |
मात्रा | कुछ नहीं |
अब व्यंजन के साथ इनका प्रयोग कैसे होता है समझे –
शुद्धा व्यंजन + स्वर ( मात्रा ) = स्वर रहित व्यंजन |
क् + अ कुछ नहीं = क |
क् + आ (T) = का |
क् + इ (f) = कि |
क् + ई = की |
क् + उ = कु |
क् + ऊ = कू |
क् + ऋ = कृ |
क् + ए = के |
क् + ऐ = कै |
क् + ओ = को |
क् + औ = कौ |
बारहखड़ी
व्यंजन के साथ सभी स्वरों की मात्राएँ (ऋ को छोड़कर), अनुस्वार और विसर्ग मिलाकर लिखने को बारहखड़ी कहते हैं
जैसे- क , का, कि, की, कु, कू, के ,कै, को, कौ, कं, कः ।
ख, खा, खि, खी, खु, खू, खे, खै, खो, खौ,खं, ख: ।
ग गा गि गी गु गू गे गै गो गौ गं गः ।
च चि ची चु चू चे चै चो चौ चं. चे, चे, च।
इसी प्रकार अन्य व्यंजनों की बारहखड़ी लिखी जाती है।
क से ढ तक की बारहखड़ी
त से म तक की बारहखड़ी
य से ज्ञ तक की बारहखड़ी
अ की मात्रा वाले शब्द
अब | जग |
जब | मग |
बस | कप |
तप | चल |
कह | यह |
वह | जन |
तर | जर |
सर | फस |
लद | फल |
रट | पल |
पर | बल |
रस | चर |
कर | मर |
जल | कट |
कलम | तरन |
सरल | धरन |
तरल | मलय |
कलश | हरम |
रहम | जलन |
सहन | फलन |
शरबत | अचकन |
हडसन | बचपन |
परबत | खटपट |
दशरथ | अलवर |
चटपट | सरगम |
धड़कन | चरभर |
आ की मात्रा वाले शब्द
चाचा | पापा |
दाना | नारा |
टमाटर | आकाश |
जान | बाजार |
मकान | जानवर |
सभा | बादल |
धरा | नया |
भला | राधा |
भाप | ताला |
नाला | पास |
बड़ा | आया |
गला | मामा |
हाथ | मात्रा |
अभ्यास
- वर्ण की परिभाषा लिखें और उदाहरण दे
उत्तर:-वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं , जिसके और टुकड़े या खंड हो सकते हैं
जैसे ;- अ,आ ,इ,ई,क,ख,च,छ,य,र,ल आदि|
2।वर्णमाला किसे कहते हैं? इसमें कितने वर्ण या ध्वनियाँ है?
उत्तर :- वर्णो के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं | हिन्दी के वर्णमाला मैं 52 वर्ण य ध्वनिया हैं |
३.वर्ण के कितने भेद हैं इनके नाम लिखें।
उत्तर :- वर्ण के दो भेद हैं –
1।स्वर वर्ण vowels
2।व्यंजन वर्ण consonants
4.स्वर वर्ण किसे कहते हैं ? ये कौन कौन से हैं?
उत्तर :- जिस वर्ण का उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से हो उसे स्वर वर्ण कहते हैं। ये ग्यारह है अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ|
5. स्वर वर्ण के कितने भेद है? इनके नाम लिखें।
उत्तर – व्यंजन वर्ण के पाँच भेद है—
(i) स्पर्श
(ii) अन्त स्थ.
(iii) ऊष्म
(iv) संयुक्त और
(v) द्विगुण ।
6. ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं? ये कौन-कौन से हैं
उत्तर – ह्रस्व स्वर – जिस स्वर के उच्चारण में कम समय लगता है। उसे ‘ह्रस्व स्वर कहते है ये चार है-
अ इ उ तथा ऋ|
7. दीर्घ स्वर किसे कहते है ? ये कौन-कौन से हैं?
उत्तर – दीर्घ स्वर – जिस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व स्वर की अपेक्षा दुगना समय लगता है उसे ‘दीर्घ स्वर‘ कहते हैं। ये सात हैं- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ।
8. ह्रस्व और दीर्घ स्वरों के उच्चारण को समझाकर लिखें।
उत्तर – हस्व स्वर और दीर्घ स्वर के उच्चारण को समझे-
कल– इसे बोलने में कम समय लगता है।
काला –लेकिन ‘कल’ की अपेक्षा इसमें दुगना समय लगता है।
नल – इसके उच्चारण में कम समय लगता है।
नीली – परन्तु ‘नल’ की अपेक्षा इसमें दुगना समय लगता है
9. व्यंजन वर्ण की परिभाषा लिखें और उदाहरण दें।
उत्तर – परिभाषा जो वर्ण स्वर की सहायता से बोला जाता है उसे व्यंजन वर्ण कहते हैं। जैसे- क् ख् ग्. च्, छ्, फ्. व् आदि ।
10. व्यंजन वर्ण के कितने भेद है? इनके नाम लिखें।
व्यंजन वर्ण के पाँच भेद है—
(i) स्पर्श
(ii) अन्त स्थ.
(iii) ऊष्म
(iv) संयुक्त और
(v) द्विगुण ।
11. स्पर्श व्यंजन कौन-कौन से हैं? इनकी संख्या कितनी
उत्तर – स्पर्श व्यंजन = (क, ख, ग घ ङ), (च छ ज झ ञ) ( ट ठ ड ढ ण त थ द ध न) और (प फ ब भ म) के उच्चारण में कण्ठ तालु का ऊपरी भाग ओठ आदि का स्पर्श किया जाता है। इसलिए इन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। इनकी कुल संख्या 25 है।
12. अन्तःस्थ व्यंजन किसे कहते हैं? इनकी संख्या कितनी है ?
उत्तर –अन्तःस्थ व्यंजन = य र ल और व के उच्चारण में जीभ, तालु, दाँत और होठों का स्पर्श तो होता है, लेकिन कहीं भी पूरा स्पर्श नहीं होता। अतः इन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 4 है।
13. ऊष्म व्यंजन किसे कहते हैं? इनकी कुल संख्या कितनी है ?
उत्तर- ऊष्म व्यंजन – श, ष, स और ह का उच्चारण रगड़ या घर्षण से उत्पन्न ऊष्म (गर्म) वायु से होता है, अत इन्हें ऊष्म व्यंजनकहते है इनकी कुल संख्या 4 है।
14. संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं? ये कौन-कौन से हैं?
उत्तर – संयुक्त व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ और श्र को संयुक्त व्यंजन कहते है क्योंकि इनमें दो व्यंजन जुड़े हुए हैं-
क् + ष = क्ष
त् + र = त्र
ज् + ञ = ज्ञ
श् + र = श्र
15. द्विगुण व्यंजन किसे कहते हैं? ऐसे व्यंजनवाले कुछ शब्द लिखे।
उत्तर – द्विगुण व्यंजन – ‘इ’ और ‘द’ को द्विगुण व्यंजन कहते हैं। ये ‘ड’ और ‘ढ’ के नीचे बिन्दु देने से बनते हैं। इनका प्रयोग प्रायः किसी शब्द के बीच या अन्त में होता है। जैसे—
पढ़ना, चढ़ना, लड़की, सड़क आदि- (शब्द के बीच में)
बाढ़, आषाढ़, ककड़ी, मकड़ी आदि – (शब्द का अन्तिम अक्षर)
नोट- ‘ढ प्राय शब्द के शुरू में आता है, ‘ढ’ नहीं। जैसे—
ढकना, ढोलक, होग, ढाँचा (गलत)
ढकना ,ढोलक, ढोग, ढाँचा (सही)
16. मात्रा किसे कहते हैं ? स्वर की कितनी मात्राएँ हैं ?
उत्तर – आप जानते है कि ग्यारह स्वर है लेकिन मात्रा सिर्फ दस स्वर के संकेत चिह्न को मात्रा कहते है जो निम्नलिखित है-
स्वर
ऐ
स्वर | अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ऋ | ए | ऐ | ओ | औ |
मात्रा | कुछ नहीं |
17. बारहखड़ी किसे कहते है ? ‘क’ की बारहखड़ी लिखें।
उत्तर – व्यंजन के साथ सभी स्वरों की मात्राएँ (ऋ को छोड़कर), अनुस्वार और विसर्ग मिलाकर लिखने को बारहखड़ी कहते हैं
जैसे- क , का, कि, की, कु, कू, के ,कै, को, कौ, कं, कः ।
सही शब्द चुनकर खाली जगहों को भरें-
(क) वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं जिसके और टुकड़े या खंड नहीं हो सकते।(खण्ड, भूखण्ड टुकड़े)
(ख) वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं (फूलमाला, वर्णमाला)
(ग) वर्ण के दो भेद हैं( दो, चार)
(घ) जिस वर्ण का उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है उसे स्वर वर्ण कहते हैं।(स्वर, व्यंजन)
(च) जिस स्वर वर्ण के उच्चारण में कम समय लगता है उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं।( दीर्घ, ह्रस्व)
(ङ) स्वर वर्ण के मुख्यत दो भेद होते हैं ( दो चार )
(छ ) जिस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व स्वर की अपेक्षा दुगना समय लगता है उसे दीर्घा स्वर कहते हैं।(दीर्घ, ह्रस्व)
(अ) अ इ उ ऋ हस्व स्वर हैं (दीर्घ ह्रस्व)
(इ) आ ई ऊ ए ऐ ओ तथा औ दीर्घा स्वर हैं (दीर्घ ह्रस्व)
(x) कल या ‘नल’ का उच्चारण ह्रस्व कहलाएगा | (दीर्घ ह्रस्व)
(ट) ‘काला या ‘नीली का उच्चारण दीर्घ कहलाएगा |(दीर्घ ह्रस्व)
(ठ) जो वर्ण स्वर वर्ण की सहायता से बोला जाता हैं उसे स्वर कहते हैं
(ड) व्यंजन वर्ण के मुख्यत: पाँच भेद हैं |( चार पाँच )
(इ) स्पर्श व्यंजनों की संख्या 25 हैं (पचीस तीस)
(ण) य र ल और व अन्तःस्थ व्यंजन कहलाते हैं। (ब, व)
(त) श, ष, स और ह का उच्चारण रगड़ या घर्षण से उत्पन्न गरम वायु से होता है। (ठण्ड, गर्म)
(थ) क्ष, त्र, ज्ञ और श्र को संयुक्त व्यंजन कहते है। (संयुक्त, द्विगुण)
(द) इ और द को द्विगुण व्यंजन कहते हैं। (द्विगुण, संयुक्त)
(घ) अनुस्वार का उच्चारण नाक और मुँह से होता है। (मुँह, दाँत)
(न) चन्द्रबिन्दु का उच्चारण नाक और मुँह से होता है, लेकिन इसमें थोड़ी-सी कोमलता होती है। (कोमलता, कठोरता)
(प) विसर्ग का उच्चारण ह की तरह होता है। (‘ह’, ‘ड’)
(फ) स्वर के संकेत चिह्न को मात्रा कहते है।(मात्रा, बारहखड़ी)
(ब) व्यंजन के साथ सभी स्वरों की मात्राएँ (ऋ को छोड़कर), अनुस्वार और विसर्ग मिलाकर लिखने को बारहखड़ी कहते है।
(बारहखड़ी, व्यंजन)
(भ) ढ़कना, ढोलक, ढोंग, ढाँचा- ये अशुद्धा शब्द हैं। (शुद्ध, अशुद्ध)
(म) ग्यारह स्वर हैं, लेकिन मात्राओं की संख्या दस है। (दस बारह)
19। इनमे से स्वर और व्यंजन वर्णो को चुन कर लिखिए |
स्वर वर्ण – अ,इ,ए,ऊ,औ,ऋ|
व्यंजन वर्ण- क,प,छ,त्र,श,व |
20 इनमे से हसवा स्वर और दीर्घा स्वर को चुन कर लिखिए
ह्रस्व स्वर=अ,इ,उ,ऋ
दीर्घ स्वर=आ,ई,ऊ,ए,ऐ,औ,आ,ओ|
- इनमें से स्पर्श, अन्तस्थ, ऊष्म, संयुक्त और द्विगुण व्यंजनों को चुनकर लिखें— क, ख, य, श, क्ष, च, छ, र, ष, त्र, ट, ठ, ल स ज्ञ, त. प.
स्पर्श व्यंजन- (क, ख, ग घ ङ), (च छ ज झ ञ) ( ट ठ ड ढ ण त थ द ध न) और (प फ ब भ म)
अन्त स्थ व्यंजन- य र ल और व
ऊष्म व्यंजन= श, ष, स और ह
संयुक्त व्यंजन- क्ष, त्र, ज्ञ और श्र
22। पढ़ें, समझें और खाली जगहों को भरें-
कल = क् + अ + ल् + अ
फल= फ + अ + ल + अ
चला = च् + अ + ल् + आ
जला = ज + अ + ल् + आ
पिता = प +इ + त + आ
जिला = जि +इ + ल + आ
नानी = ना + अ + नी + इ
दादी =दा + आ + दी + इ