DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 to 13 Question Answer

DAV class 7 Naitik Shiksha chapter 10 to 13 question answer are given below to help the students to answer the questions correctly using logical approach and methodology.

Here, we provide complete solutions of DAV Class 7 Naitik Shiksha chapter 10 ईश विनय, chapter 11 स्वामी श्रद्धानंद, chapter 12 महात्मा हंसराज, and chapter 13 स्वामी दर्शनानन्द of Naitik Shiksha Textbook.

Table of Contents

  • DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 to 13 Solutions
  • DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 ईश विनय
  • DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 11 स्वामी श्रद्धानंद
  • DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 12 महात्मा हंसराज
  • DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 13 स्वामी दर्शनानन्द

These exercise of Naitik Shiksha chapter 10 to 13 contains 18 questions and the answers to them are provided in the DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 to 13 Question Answer.

DAV solutions for class 7 Naitik Shiksha provide up-to-date and comprehensive coverage of the M. ED curriculum specified by the DAV Public School.

DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 to 13 Solutions

DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 to 13 Solutions is given below. Here DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 to 13 question answer is provided with detailed explanation.

DAV Class 7 students are more likely to score good marks in Naitik Shiksha exam if they practice DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 to 13 Question Answer regularly.

Solutions of DAV Class 7 Naitik Shiksha chapter 10 to 13 (chapter 10 ईश विनय, chapter 11 स्वामी श्रद्धानंद, chapter 12 महात्मा हंसराज, and chapter 13 स्वामी दर्शनानन्द) is help to boost the writing skills of the students, along with their logical reasoning.

Students of class 7 can go through Naitik Shiksha chapter 10 to 13 solutions to learn an effective way of expressing their answer in the M. ED exam.

DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 10 ईश विनय

1. इस प्राथना में भगवान से क्या याचना की गई है?

उत्तर: इस प्राथना में भगवान से यह याचना की गई है कि उस परमपिता परमेश्वर की अलौकिक ज्योति सदैव मेरे हृदय में जलती रहे और अंत में मैं उसी ज्योति या प्रकाश में विलीन हो जाऊँ।

2. भगवान पर पैसा चढ़ाते समय भक्त क्यों हिचकिचा जाता है?

उत्तर: भगवान पर पैसा चढ़ाते समय भक्त इसलिए हिचकिचा जाता है क्योंकि वह सोचता है कि भगवान की दासी तो स्वयं धन की स्वामिनी लक्ष्मीजी हैं, फिर उस परमेश्वर पर पैसा चढ़ाने का क्या लाभ है।

3. भगवान की मूर्ति पर जल चढ़ाना तथा नैवेद्य अर्पण करना भक्त को क्यों अनुचित दिखाई देता है?

उत्तर: भगवान की मूर्ति पर जल चढ़ाना तथा नैवेद्य अर्पण करना भक्त को इसलिए अनुचित दिखाई देता है क्योंकि वह जानता है कि इस संसार की हर वस्तु ईश्वर की ही दी हुई है। फिर उसी की वस्तु को फिर से उसे ही अर्पित करना अनुचित और व्यर्थ है।

DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 11 स्वामी श्रद्धानंद

1. मुंशीराम ने स्वामी दयानंद के दर्शन पहले-पहल कहाँ किए?

उत्तर: मुंशीराम ने स्वामी दयानंद के दर्शन पहले-पहल बरेली में किए।

2. वकालत के साथ-साथ मुंशीराम आर्य समाज के किन कामों में लगे रहते थे?

उत्तर: वकालत के साथ-साथ मुंशीराम ने जात-पात के भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया, कन्याओं की शिक्षा के लिए पाठशाला खोलने का काम किया, दलितों के उद्धार करने का काम किया तथा शुद्धि आंदोलन चला करके आर्य समाज के कामों में लगे रहते थे।

3. महात्मा मुंशीराम गुरुकुल काँगड़ी के कितने वर्ष तक मुख्याधिष्ठाता रहे?

उत्तर: महात्मा मुंशीराम गुरुकुल कांगड़ी के सत्रह वर्षों तक मुख्याधिष्ठाता रहे।

4. महात्मा मुंशीराम की हिंदी भक्ति उनके किन कार्यों से प्रकट होती है?

उत्तर: महात्मा मुंशीराम की हिंदी भक्ति उनके इन कार्यों से प्रकट होती है-

  • उन्होंने उर्दू में निकलने वाले साप्ताहिक पत्र ‘सद्धर्म’ को रातोंरात बदलकर हिंदी में कर दिया और घाटा सहकर भी इसे चलाया।
  • ‘श्रद्धा’ नामक साप्ताहिक पत्र हिंदी में गुरुकुल से प्रकाशित किया।
  • ‘अर्जुन’ नामक दैनिक पत्र हिंदी में दिल्ली से प्रकाशित करवाया।
  • गुरुकुल में विज्ञान सहित सभी विषयों की शिक्षा का माध्यम हिंदी ही रखा तथा विज्ञान की नई पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित कराई।

5. स्वामी श्रद्धानंद ने कांग्रेस से संबंध क्यों तोड़ा?

उत्तर: स्वामी श्रद्धानंद कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण नीति से सहमत नही थे। जब मुसलमानों को तबलीग (धर्म परिवर्तन) का अधिकार है तो हिन्दुओं को शुद्धि का क्यों नहीं? इस प्रश्न पर स्वामीजी कांग्रेस से अलग हो गए।

DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 12 महात्मा हंसराज

1. महात्मा हंसराज के जन्म तथा मृत्यु होने के स्थानों का नाम बताओ।

उत्तर: महात्मा हंसराज का जन्म 19 अप्रैल, 1864 को होशियारपुर (पंजाब) के निकटवर्ती बजवाड़ा ग्राम में हुआ तथा स्वर्गारोहण 14 नवंबर, 1938 को लाहौर में हुआ।

2. महात्मा हंसराज के बड़े भाई का नाम क्या था? उन्होंने उनकी कैसे सहायता की?

उत्तर: महात्मा हंसराज के बड़े भाई का नाम लाला मुल्खराज था। उन्होंने आजीवन अपने वेतन का आधा भाग देकर उनकी सहायता की।

3. महात्मा हंसराज ने कितने वर्षों तक डी.ए.वी. संस्था का आचार्य पद संभाला।

उत्तर: महात्मा हंसराज ने 25 वर्ष तक डी.ए.वी संस्था का आचार्य पद संभाला।

4. महात्मा हंसराज के सहपाठियों में ऐसे किन्हीं दो के नाम बताओ जो बाद में प्रसिद्ध व्यक्ति बने।

उत्तर: महात्मा हंसराज के सहपाठियों में ऐसे किन्हीं दो के नाम ये हैं जो बाद में प्रसिद्ध व्यक्ति बने-

  • पंडित गुरुदत्त
  • लाला लाजपतराय

5. महात्माजी का पुत्र बलराज क्यों गिरफ्तार किया गया था?

उत्तर: महात्माजी का बड़ा पुत्र बलराज स्वतन्त्रता संग्राम में राजद्रोह के अपराध में गिरफ्तार किया गया था।

DAV Class 7 Naitik Shiksha Chapter 13 स्वामी दर्शनानन्द

1. स्वामी दर्शनानन्द के बचपन का नाम क्या था?

उत्तर: स्वामी दर्शनानन्द के बचपन का नाम नेतराम था।

2. स्वामी दयानन्द के व्याख्यानों का कृपाराम पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: स्वामी दयानन्द के व्याख्यानों का कृपाराम पर यह प्रभाव पड़ा कि वे पंजाब, हरिद्वार आदि स्थानों में घूम-घूम कर वैदिक धर्म का प्रचार करने लगे।

3. महर्षि दयानन्द का निर्वाण होने पर इन्होंने ऋषि-ऋण चुकाने के लिए क्या किया?

उत्तर: महर्षि दयानन्द का निर्वाण होने पर ऋषि-ऋण चुकाने के लिए इन्होंने स्वामीजी द्वारा रचित कुछ ग्रंथों की सैकड़ों प्रतियाँ पाठकों में बाँट दी।

4. मुसलमानों और ईसाइयों आदि से शास्त्रार्थ करने की उन्हें बड़ी धुन थी, इसका पता कैसे चलता है?

उत्तर: मुसलमानों और ईसाईयों आदि से शास्त्रार्थ करने की उन्हें बड़ी धुन थी, इसका पता ऐसे चलता है कि अंतिम दिनों में रुग्णशैया पर पड़े हुए भी वे वहाँ अपनी विपक्षियों को परास्त करते थे। अपनी मृत्यु के छह घंटे पहले तक इन्होंने शास्त्रार्थ किए।

5. स्वामी दर्शनानन्द का साहित्य किस नाम से प्रकाशित हुआ है?

उत्तर: स्वामी दर्शनानन्द का साहित्य दर्शनानन्द ग्रंथ संग्रह के नाम से प्रकाशित हुआ है।