प्रत्येक भाषा की अपनी ध्वनि-व्यवस्था, शब्द-रचना एवं वाक्य का निश्चित संरचनात्मक ढाँचा तथा
एक सुनिश्चित अर्थ प्रणाली होती है। भाषा की सबसे छोटी और सार्थक इकाई “शब्द‘ है। ध्वनि-समूहों
की ऐसी रचना जिसका कोई अर्थ निकलता हो उसे शब्द कहते हैं।
परिभाषा-““एक या एक से अधिक वर्णों से बने सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते हैं।”
शब्द के भेद – हिंदी भाषा जहाँ अपनी जननी संस्कृत भाषा के समृद्ध शब्द भण्डार से प्राप्त परंपरागत
विकास के मार्ग पर बढ़ी, वहीं इसने अनेक भाषाओं के संपर्क से प्राप्त शब्दों से भी अपने शब्द-भंडार
में वृद्धि की है। साथ ही नये भावों, विचारों, व्यापारों की अभिव्यक्ति के लिए आवश्यकतानुसार नये शब्दों
कौ रचना भी पूरी उदारता एवं तत्परता से की गई है। इस प्रकार हिंदी की शब्द-संपदा न केबल बिपुल
है बल्कि विविधतापूर्ण भी हो गई है।
शब्द की उत्पत्ति , रचना, प्रयोग एवं अर्थ के आधार पर शब्द के भेद किए गए हैं। जिनका विस्तृत
विवरण इस प्रकार है-
(क ) उत्पत्ति के आधार पर – हिंदी भाषा में संस्कृत, विदेशी भाषाओं, बोलियों एवं स्थानीय संपर्क
भाषा के आधार पर निर्मित शब्द शामिल हैं। अतः उत्पत्ति या स्रोत के आधार पर हिंदी भाषा के शब्दों
को निम्नांकित उपभेदों में बाँठा गया है-
तत्सम-तत् + सम का अर्थ है-उसके समान। अर्थात् किसी भाषा में प्रयुक्त उसकी मूल भाषा
कहते हैं। हिंदी की मूल भाषा संस्कृत है। अतः संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में ज्यों
के त्यों प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं, जैसे-अट्टालिका, उष्ट्र, कर्ण, चंद्र, अग्नि, आम्र, गर्दभ,
क्षेत्र आदि।
(8) तदूभव शब्द-संस्कृत भाषा के वे शब्द, जिनका हिंदी में रूप परिवर्तित कर, उच्चारण की
सुविधातुसार प्रयुक्त किया जाने लगा, उन्हें तदूभव शब्द कहते हैं, जैसे-अटारी, ऊँट, कान, चाँद, आग, आम,
गधा, खेत आदि।
तत्सम-तद्भव शब्दों की सूची
तत्सम तदूभव तत्सम तदूभव
- अकार्य अकाज अज्ञानी अनजाना
- अगम्य अगम अंधकार अँधेरा
- आश्चर्य अचरज अमावस्या अमावस
- अक्षत अच्छत अक्षर आखर
- अटूटालिका अयरी अमूल्य अमो
- आम्रचूर् अमचूर
- अंगुष्ठ अँगूठा
अष्टादश अठारह
अर्द आधा - अग्नि आग
- अन अनाज
- अमृत अमिय
- आम्र आम
- अर्पण अरपन
- आखेट अहेर
- अगणित अनगिनत
- आश्विन आसोज
- आलस्य आलस
- असीस आशिष
- आश्रय आसरा
- उज्चल जला
- एकत्र इकट्ठा
- कर्पास ईख
- अंचल आँचल
- कपाट किवाड़ू
- कंटक काँटा
- काष्ठ काठ
- काक कौबा/कौआ
- किरण किरन
- कुकुर कुत्ता
- कुपुतर कपूत
- कोण कोना
- कृषक किसान
तत्सम
गर्दभ
कदली
कर्पूर
कपोत
कार्य
कार्तिक
कास
कुंभकार
कुष्ठ
‘कोकिल
कृष्ण
कंकण
कच्छप
क्लेश
कजल
कर्ण
कर्त्तरी
गर्त
स्तम्भ
क्षत्रिय
खट्वा
क्षीर
क्षेत्र
ग्रंथि
गायक
ग्रामीण
गोस्वामी
गृह
गोमय
गौर
गौ
गुहा
ग्राम
गम्भीर
गोपालक
‘तद्भव
गधा
काम
केला
कपूर
कबूतर
काज
कातिक
खाँसी
कुम्हार
कोढ़
कोयल
किसन/कान्ह
कंगन
कछुआ
कलेस
काजल
कान
‘कतरनी
गडूढा
खंबा
खत्री
खाट
खीर
खेत
गाँठ
‘गवैया
गँवार
गुसाई
घर
गोबर
गोरा
गाय
गुफा
गाँव
गहरा
ग्वाला