DAV Class 8 Hindi Chapter 13 Solutions
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Highlights
- पाठ में से
- बातचीत के लिए
- अनुमान और कल्पना
- भाषा की बात
- जीवन मूल्य
DAV Class 8 Hindi Chapter 13 Question Answer
DAV class 8 Hindi Chapter 13 Soor Aur Tulasee Ke Pad Question Answer is given below. Here DAV class 8 Hindi Chapter 13 solutions is provided with detailed explanation.
पाठ में से
1. यशोदा मैया से कौन क्या शिकायत कर रहा है?
उत्तर: यशोदा मैया से कृष्ण अपने बालों के न बढ़ने को लेकर शिकायत कर रहे हैं।
2. कृष्ण अपनी चोटी न बढ़ने के लिए यशोदा को क्या उलाहना देते हैं?
उतर: कृष्ण अपनी चोटी न बढ़ने के लिए यशोदा मैया को उलाहना देते हुए कह रहे हैं कि उन्होंने अपनी माता की बातों को मानकर मक्खन रोटी खाना छोड़ दिया ताकि उनके केश बलराम की तरह लंबे, घने और मोटे हो जाए पर इतने दिनों तक कच्चा दूध पीने के बाद भी उनकी चोटी नहीं बढ़ रही है।
3. ‘बल’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है? उनकी चोटी कैसी है?
उत्तर: ‘बल’ शब्द का प्रयोग कृष्ण के बड़े भाई बलराम के लिए किया गया है। उनकी चोटी मोटी, लंबी, काली और घनी है।
4. माताएँ श्रीराम के प्रति अपना दुलार कैसे व्यक्त करती हैं?
उत्तर: माताएँ श्रीराम के प्रति अपना दुलार व्यक्त करने के लिए अपने आँचल से श्रीराम के शरीर पर लगे धूल कण को साफ़ करती हैं और अनेक तरीके से राम को प्रसन्न करने के लिए मीठी-मीठी बातें करके उसे दुलारती है।
5. नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए–
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैजनियाँ।
किलकि-किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय।
धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियाँ।
(क) श्री राम ने पैरों में क्या पहन रखा है?
उत्तर: श्रीराम ने पैरों में पायल पहन रखा है।
(ख) श्री राम को गोद में कौन उठा लेता है?
उत्तर: श्रीराम को गोद में दशरथ की तीनों रानियाँ उठा लेती हैं।
(ग) दशरथ की रनियाँ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: दशरथ की रनियाँ’ का अर्थ है दशरथ की पत्नियाँ जो श्रीराम की माताएं हैं।
बातचीत के लिए
1. तुलसीदास के पद और सूरदास के पद-दोनों में किन बाल-सुलभ व्यवहारों का वर्णन किया गया है?
उत्तर: सूरदास एवं तुलसीदास के पदों में बच्चों का किसी वस्तु के लिए हठ करना, शिकायत करना, बाल्यावस्था में चलना, सीखते समय गिर जाने पर माता का वात्सल्य प्रेम, बच्चों की मनमोहक आवाज़ जैसी बाल सुलभ क्रियायों का वर्णन किया गया है।
2. राम और कृष्ण की बाल लीलाओं में आपको किसकी बाल-लीला अधिक रुचिकर लगती है और क्यों?
उत्तर: मुझे श्रीकृष्ण के बाल-लीला का वर्णन ज्यादा रुचिकर लगता है क्योंकि इन पंक्तियों में श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से शिकायत कर रहे हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने कितनी बार कच्चा दूध पिया है फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही है। ऐसी शिकायत बिलकुल नैसर्गिक और हृदयस्पर्शी है।
3. नीचे दी गई पंक्तियों का भाव समझाइए–
(क) मैया कबहिं बढ़गी चोटो।
किती बार मोहिं दूध पिवत भई यह अजहूँ है छोटी।
उत्तर: इन पंक्तियों के माध्यम से सूरदास श्रीकृष्ण के बाल्यावस्था का वर्णन कर रहे हैं जिसमें श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से शिकायत कर रहे हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने कितनी बार कच्चा दूध पिया है फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही है।
(ख) विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर।
सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियाँ।
उत्तर: इन पंक्तियों में गोस्वामी तुलसीदास कह रहे हैं कि नए पत्तों से कोमल लाल होंठों से श्रीराम मधुर मधुर वचन कहते हैं और उनके सुंदर नाक में लटकनियाँ (एक प्रकार का आभूषण) लटक रही हैं जिससे उनकी सुंदरता कई गुना बढ़ा गई है।
अनुमान और कल्पना
1. कल्पना कीजिए कि श्रीकृष्ण के स्थान पर आप हैं और आपको अपनी मनपसंद वस्तु नहीं मिलती है, तो आप अपनी माता जी से किस प्रकार शिकायत करेंगे?
उत्तर: अगर श्रीकृष्ण की जगह मैं होता और मुझे अपनी मनपसंद चीज़ नहीं मिलती तो मैं अपनी माँ से कहता माँ आपके कहे अनुसार मैं हर दिन अपना काम समय पर करता हूँ। दिन में दो बार पढता हूँ। अपना टिफिन भी पूरा खाता हूँ और अब तो मैंने सब्जियाँ खाना भी शुरू कर दिया है फिर आप मुझे मेरी मनपसंद चीज़ क्यों नहीं दे रही हैं?
2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी की तुलना बलराम की चोटी से क्यों करते होंगे?
उत्तर: श्रीकृष्ण अपनी चोटी की तुलना बलराम के चोटी से करते हैं। क्योंकि तुलना हमेशा दो असमान चीजों में ही की जाती है। यहाँ कृष्ण की चोटी छोटी और पतली है जबकि बलराम की चोटी मोटी, लंबी और घनी है।
भाषा की बात
1. नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए-
क. अजहूँ – अभी भी
ख. गिरत – गिरना
ग. मोहिं – मुझे
घ. चारु – सुंदर
ड. जोटी – जोड़ी
च. लेत – लेना
2. नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
उत्तर:
क. तन – देह, शरीर
ख. धन – दौलत, सम्पत्ति
ग. भूमि – भू, धरा
घ. भैया – भ्राता, सहोदर
डं. मैया – माँ, जननी
जीवन मूल्य
1. ईश्वर-भक्ति हमारे मन को आनंद प्रदान करती है, मन की चंचलता को शांत करती है। अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: ईश्वर भक्ति संतुष्टि का ही दूसरा नाम है। जब हमारा मन संतुष्ट होता है तभी जाकर हमारा मन चंचलता से मुक्त हो जाता है और हम ईश्वर भजन-कीर्तन में लीन हो जाते हैं।
2. बचपन में हम जो नादानियाँ करते हैं. उनसे हम कुछ-न-कुछ सीखते हैं। कैसे?
उत्तर: सीखने की प्रक्रिया आजीवन चलती रहती है। बचपन की नादानियों से हम बहुत कुछ सीख जाते हैं क्योंकि उन नादानियों की वजह से हमें डॉट पड़ जाती थी और कभी-कभी हमें चोटें भी लग जाया करती थी।