DAV Class 6 Hindi Chapter 14 Question Answer Ek Romanchak Yatra (एक रोमांचक यात्रा)

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पाठ में से

1. पहाड़ों पर घूमते हुए नेहरू जी किसके साथ कहाँ तक पहुँच गए?

उत्तर: पहाड़ों पर घूमते हुए नेहरु जी अपने चचेरे भाई तथा मित्रों के साथ लद्दाख तक पहुँच गए।

2. नेहरू जी एवं उनके साथी यात्रियों ने बर्फीली नदियों को किसकी सहायता से और किस प्रकार पार किया?

उत्तर: नेहरू जी एवं उनके साथी यात्रियों ने बर्फीली नदियों को वहीं के एक स्थानीय गड़रिए के दिशा निर्देश तथा अपने-आप को एक रस्सियों की साँकल में बाँधकर बड़ी सावधानी से पार किया।

3. अमरनाथ की गुफा अनदेखी क्यों रह गई?

उत्तर: अमरनाथ की गुफा अनदेखी इसलिए रह गई क्योंकि अमरनाथ की ओर जाने के रास्ते में बहुत सी दरारें थी जो बर्फ से ढकी होने के कारण दिखाई भी नहीं देती थी। आगे के रास्ते में दरारों की संख्या और उनकी चौड़ाई और भी बढ़ रही थी और इन दरारों भरे रास्ते को पार करने का कोई भी साधन उपलब्ध न होने के कारण अमरनाथ की गुफा अनदेखी रह गई।

4. उचित उत्तर पर सही का निशान लगाइए-

(क) यात्रा में नेहरू जी को कैसा अनुभव हुआ?

उत्तर: दिल दहला देने वाला

(ख) मटायन से अमरनाथ की गुफा कितनी दूर थी?

उत्तर: आठ मील

(ग) लगातार चढ़ते रहने के बाद नेहरू जी और उनके साथियों को क्या पुरस्कार मिला?

उत्तर: हिम-सरोवर देखने का

बातचीत के लिए

1. यात्रियों को साँस लेने में कठिनाई क्यों होने लगी होगी?

उत्तर: यात्रियों को साँस लेने में कठिनाई इसलिए हो रही थी क्योंकि वे समुद्रतल से काफी ऊँचाई पर थे जिस वजह से उन्हें वहाँ पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा था।

2. “इस नई बर्फ ने ही मेरा करीब-करीब खात्मा कर दिया होता”- ऐसा नेहरूजी ने क्यों कहा?

उत्तर: नेहरूजी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि नई गिरने वाली बर्फ ने हिम विदर को ढँक दिया था और रास्ता भी रपटीला हो गया था जिस वजह से भूलवशत: नेहरुजी हिम-विदर में गिर पड़े और बड़ी मुश्किलों के बाद उन्हें बाहर निकाला गया।

3. क्या कारण होगा कि थके होने पर भी सभी ने यात्रा तय करनी शुरू की?

उत्तर: सभी यात्रियों में अमरनाथ की गुफा देखने की लालसा थी जिस वजह से थके होने पर भी सभी यात्री पूरे जोश से यात्रा कर रहे थे।

4. हिम-सरोवर का दृश्य कैसा था ?

उत्तर: हिम-सरोवर का दृश्य बहुत ही सुंदर था। उसके चारों ओर बर्फ़ से ढकी पर्वत-चोटियाँ थीं, मानों देवताओं का मुकुट अथवा अर्धचंद्र हो।

अनुमान और कल्पना

1. यदि आपको पहाड़ पर रहना पड़ता तो किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता?

उत्तर: यदि मुझे पहाड़ पर रहना पड़ता तो मुझे यातायात संबंधी समस्याओं के साथ-साथ खेल-कूद के समतल जमीन का अभाव, वर्षा के दिनों में शिलाओं के स्खलन का भय तथा खेती-बाड़ी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता।

2. क्या होता अगर यात्रियों ने एक दूसरे को रस्सियों से न बाँधा होता?

उत्तर: यदि यात्रियों ने एक-दूसरे को रस्सी से नहीं बाँधा होता तो नेहरू जी के हिम-विदर में गिरने के बाद उन्हें बचा पाना बहुत ही कठिन हो जाता और शायद नेहरू जी जीवित भी न बचते।

भाषा की बात

1. नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार वाक्य बनाइए-

उदाहरण – हिम-सरोवर के चारों ओर बर्फ़ से ढकी पर्वत-चोटियाँ थीं, मानों देवताओं का मुकुट अथवा अर्धचंद्र हो।

(क) उपवन में चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल हुए खिले थे मानो प्रकृति ने सोलह शृंगार किया हो।

(ख) आकाश में काले-काले बादल छाए हुए थे मानो चंद्र का दाग हो।

(ग) गहरे काले आसमान में अनेक तारे चमक रहे थे मानो अँधेरे में जुगनू उड़ रहे हों।

(घ) तेज ठंडी हवा के कारण पेड़ ऐसे हिल रहे थे मानो डर से काँप रहे हो।

2. नीचे दिए गए वाक्यों को दिए गए मुहावरों द्वारा पूरा कीजिए-

दिल दहलना, आँखों से ओझल होना, होश उड़ना

(क) जब मैंने अपनी खाली जेब देखी तो मेरे होश उड़ गए।

(ख) पहाड़ के ऊपर से नीचे गहरी खाई को देखा तो मेरा दिल दहल गया।

(ग) बगीचे से आम तोड़कर अनिल माली की आँखों से ओझल हो गया।

जीवन मूल्य

1. किसी भी कार्य को करने के लिए जोश भी जरूरी है और अनुभव भी। अपने विचार बताइए।

उत्तर: किसी भी कार्य को करने के लिए जोश के साथ साथ अनुभव भी जरूरी होता है क्योंकि जोश और अनुभव एक ही सिक्के को दो पहलू हैं और सफलतापूर्वक किसी भी कार्य को करने के लिए ये दोनों चीजों का होना अति आवश्यक है। अनुभव से हम उस कार्य को करने की रणनीति का निर्धारण करते हैं। और जोश से उस कार्य को यथाशीघ्र पूरा करते हैं।

2. सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। आप क्या सोचते हैं?

उत्तर: जी हाँ, सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी ही पड़ती है। इस दुनिया में जितने भी जीवधारी हैं वे भी जीवित रहने के लिए मेहनत करते ही हैं। बिना मेहनत के तो एक निवाला भी हम अपने मुँह तक नहीं ले जा सकते। इसलिए यह पूर्णतः सत्य कथन है कि सफल होने के लिए मेहनत करनी ही पड़ती है।

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